वाणी विलास

समझ ..सयानापन…परिपक्वता …अंतस को भीगने नहीं देते …इसलिए कभी कभी भीगे हुए शब्दों को  अपने होने का भान कराने के लिए …”वाणी विलास ”  का आश्रय .लेना ही पड़ता है . अब ये  सृजन का  मार्ग है या विचारों के अपच से होती हुई वमन  की बाध्यता नहीं जानती…परन्तु ….ये शब्द ही हैं जो बादलों के मानिंद … सायास दबाई शीतल अग्नि की अनगिनत परतों को …अपनी क्षणिक फुहारों से प्रज्ज्वलित कर देते हैं …. उतना ही पवित्र और उतना ही पवन और उतना ही पारदर्शी एक भाव ……एक रौशनी ..एक उजास …एक सुकून …क्षणांश के लिए ही सही .. पूर्णता का आभास करा जाता है …यही तो है शब्दों की खासियत .इनके  चुम्बकीय आकर्षण का  कारन भी… .”एक दिन .. मुश्किल है” .जानती हूँ ..पर दो पल  मेरे साथ भी ..पर्याप्त से भी ज्यादा होगा मेरे लिए ……..प्रतीक्षा रत हूँ ………..

10 thoughts on “वाणी विलास

  1. वाणी विलास के लिए शब्दों का श्रृंगार हुआ . . प्रतीक्षा अभीष्ट की.

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  2. शब्द ही हैं जो बादलों के मानिंद … सायास दबाई शीतल अग्नि की अनगिनत परतों को …अपनी क्षणिक फुहारों से प्रज्ज्वलित कर देते हैं ….

    aabhar…

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